This year's rendition based on the characters of Ramayana. Tried to convey a message that those who chose love and devotion are the ones closest to the Lord. So this Navratri, try to let go of negativity and hatred and embrace love.
दशरथ बोले कौशल्या से, अपना पुत्र है अति अपुरूप,
मात पिता का है वो गरीमा, राम चन्द्र है प्रेम के रूप!
शिला आकार मे अहल्या की आस, राम पघारे मेरे द्वार,
चरण स्पर्श से मोक्ष प्राप्त हो, करुणा प्रभु कि है अति अपार !
वन मे राक्षस भटक रहे है , राम है साथ तो भय ही नही,
सीता का विश्वास अटल है, राम कहे वो बात सही !
लक्ष्मण छोडे अपनी निद्रा,, भ्रा्त सुरक्षा मेरा धर्म,
राम की आज्ञा सर आंखो पर, उन्की सेवा मेरा कर्म !
भरत ने त्यागा राज सिंहसन, हर पल करे बस एक विचार,
चौदह बरस है मेरी तपस्या, भ्राता भटक रहे समुन्दर पार !
कडवा बेर या मीठा फल, शबरी के मन मै है हलचल,
प्रेम से जीते प्रभु के ह्रुदय को, झूठे बेर का प्रयास सफल !
सि्या को लौ्टा दो रामचन्द्र को , भ्रात से दोहराये अनुरोध ,
राम के शरण मे आये विभीशण, सीमित नही रावण का क्रॉध !
शत्रु पराक्रमी उत्थम यो्धा,, कुम्भकर्ण को है यह ज्ञात,
फिर भी प्रहार करे युद्ध भूमि पर, मोक्ष मिले मुझे प्रभु के हाथ !
भक्ति स्नेह ्का उचित उदाहरण, वानर प्रमुख, किश्किन्दा की शान,
उनका जीवन राम को अर्पण, पवन सुत राम दूत हनुमान !
राम भक्त का यह दृढ़ विश्वास,्ह्रुदय मे बसा है प्रभु का धाम,
बैर निकालो अपने मन से, प्रेम स्वरूप है जय श्री राम !
सत्य और हित क राह दिखाये, आज भी लब पर एक ही नाम ,
देश मे हो परदेस मे बैठे, हम तो जपते जय श्री राम !
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